REET LEVEL 1 SYLLABUS 2024 : राजस्थान में नई सरकार के गठन के बाद प्रथम बार रीट परीक्षा का आयोजन करवाया जाएगा। राजस्थान सरकार इसके लिए तैयारी में जुट गये है । रीट परीक्षा के लिए लगभग 20 लाख अभ्यर्थी प्रभावित हो रहे है । रीट परीक्षा का आयोजन पिछली सरकार हर वर्ष करवाने का वादा कर चुकी है । इस बार दिसम्बर में नई सरकार का गठन होने के बाद सबसे पहली प्राथमिकता रीट परीक्षा का आयोजन है । इस बार सरकार नए पैटर्न से REET परीक्षा का आयोजन करवाने की सोच रहे है ।
रीट 2024 की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को सबसे पहले रीट 2024 सिलेबस की जानकारी होना आवश्यक है । हम आपके लिए यहाँ पर रीट लेवल 1 सिलेबस के बारे मे विस्तृत जानकारी प्रदान कर रहे है। रीट परीक्षा के लिए विस्तृत विज्ञापन जून माह के अंतिम सप्ताह तक जारी होने की संभावना जताई जा रही है ।
REET LEVEL – 1 2024 Exam Pattern –
बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र: 30 प्रश्न – 30 अंक
भाषा प्रथम: 30 प्रश्न – 30 अंक
भाषा द्वितीय: 30 प्रश्न – 30 अंक
पर्यावरण अध्ययन व गणित: 60 प्रश्न – 60 अंक
REET LEVEL 1 SYLLABUS 2024
रीट लेवल – 1 का अभी तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने नया पाठ्यक्रम जारी नहीं किया है। पिचली बार जारी किया हुआ पाठ्यक्रम का अध्ययन करके आप अपनी तैयारी जारी रख सकते है । हालाकि राजस्थान सरकार इस बार नए पैटर्न पर REET परीक्षा का आयोजन करवाने जा रही है , इसलिए पाठ्यक्रम में परिवर्तन संभव है ।
Child Dovelopment and Padagogy: बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र
बाल विकास: वृद्धि एवं विकास की संकल्पना, विकास के विभिन्न आयाम एवं सिद्धान्त, विकास को प्रभावित करने वाले तत्त्व ( विशेष रूप से परिवार एवं विद्यालय के संदर्भ में ) एवं अधिगम से उनका संबंध। वंशानुक्रम एवं वातावरण की भूमिका,
व्यक्तिगत विभिन्नताए : अर्थ, प्रकार एवं व्यक्तिगत विभिन्नताओ को प्रभावित करने वाले कारक, व्यक्तित्व: संकल्पना, प्रकार व व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक । व्यक्तित्व का मापन, बुद्धि: संकल्पना, सिद्धान्त एवं इसका मापन, बहुआयामी बुद्धि एवं इसके अभिप्रेत
विविध अधिगमकर्त्ताओं की समझ: पिछड़े हुये, मानसिक रूप से पिछडे़, प्रतिभाशाली, सृजनशील, वंचित एवं अलाभान्वित, विशेष आवश्यकता वाले बच्चे एवं अधिगम अक्षमता युक्त बच्चे ।
अधिगम मे आने वाली कठिनाइयाँ, समायोजन की संकल्पना एवं तरीके, समायोजन में अध्यापक की भूमिका, अधिगम का अर्थ एवं संकल्पना, अधिगम को प्रभावित करने वाले तत्त्व, अधिगम के सिद्धान्त (व्यवहारवाद, गैस्टाल्टवाद, बान्डुरा एवं प्याजे)
बच्चे सीखते कैसे है, अधिगम की प्रक्रियाएं, चिंतन, कल्पना एवं तर्क, अभिप्रेरणा एवं इसके अधिगम के लिए निहितार्थ, शिक्षण अधिगम की प्रक्रियायें, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा-2005 के संदर्भ में शिक्षण अधिगम की व्यूह रचनायें एवं विधियाँ।
आकलन, मापन एवं मूल्यांकन का अर्थ एवं उद्देश्य, समग्र एवं सतत् मूल्यांकन, उपलब्धि परीक्षण का निर्माण। सीखने के प्रतिफल, क्रियात्मक अनुसन्धान, शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 अध्यापकों की भूमिका – एवं दायित्व
Environment Studies : पर्यावरण अध्ययन
परिवार – आपसी संबंध, एकल एवं संयुक्त परिवार, सामाजिक बुराईयां – (बाल विवाह, दहेज प्रथा, बालश्रम, चोरी), दुर्व्यसन (नशाखोरी, धूम्रपान) और इनके व्यक्तिगत, सामाजिक एवं आर्थिक दुष्परिणाम।
वस्त्र एवं आवास- विभिन्न ऋतुओं में पहने जाने वाले वस्त्र, घर पर वस्त्रों का रख-रखाव, हस्त करघा तथा पावरलूम, जीव जंतुओं के आवास, विभिन्न प्रकार के मानव-आवास; आवास और निकटवर्ती स्थानों की स्वच्छता, आवास निर्माण हेतु विभिन्न प्रकार की सामग्री।
व्यवसाय – अपने परिवेश के व्यवसाय (कपड़े सिलना, बागवानी, व्यवसाय – कृषि कार्य, पशुपालन, सब्जीवाला आदि), लघु एवं कुटीर उद्योग, राजस्थान राज्य के प्रमुख उद्योग, उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता, सहकारी समितियांँ।
सार्वजनिक स्थल एवं संस्थाएं – सार्वजनिक स्थल जैसे विद्यालय, चिकित्सालय, डाकघर, बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन, सार्वजनिक संपत्ति (रोड लाइट, सड़क, बस, रेल, सरकारी इमारतें आदि); विद्युत और जल का अपव्यय; रोजगार नीतियाँ;
संसद, विधानसभा, राजस्थान के जिले एवं राजस्थान मे पंचायती राज, हमारी सभ्यता और संस्कृति – राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रीय पर्व, राजस्थान के मेले एवं त्यौहार, राजस्थान राज्य की वेशभूषा, राजस्थान का खान-पान, राजस्थान की वास्तुकला
राजस्थान के पर्यटन स्थल; राजस्थान की प्रमुख विभूतियां एवं गौरव । राजस्थान की विरासत (दुर्ग, महल, स्मारक) राजस्थान की चित्रकला, लोकोक्ति एवं लोकदेवता ।
परिवहन और संचार – यातायात और संचार के साधन, सड़क पर चलने और यातायात के नियम; संचार साधनों का जीवन शैली पर प्रभाव।
अपने शरीर की देख-भाल – शरीर के बाह्य अंग और अपने शरीर की देख-भाल – उनकी साफ-सफाई, शरीर के आंतरिक तंत्रों की सामान्य जानकारी,
संतुलित भोजन की जानकारी और इसका महत्व; सामान्य रोग (आंत्रशोथ, अमीयोबायोसिस, मेटहीमोग्लोबिन, एनिमिया, फ्लुओरोसिस, मलेरिया, डेंगू) उनके कारण और बचाव के उपाय, पल्स पोलियो अभियान।
पर्यावरण अध्ययन
सजीव जगत – पादपों और जंतुओं के संगठन के स्तर, सजीवों में विविधता, राज्य पुष्प, राज्य वृक्ष, राज्य पक्षी, राज्य पशु; संरक्षित वन क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य, बाघ संरक्षित क्षेत्र, विश्व धरोहर) की जानकारी; पादपों तथा जंतुओं की जातियों का संरक्षण; कृषि पद्धतियाँ ।
जल : जल, वन, नमभूमि और मरुस्थल की मूलभूत जानकारी, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण एवं इनका नियंत्रण, जल के गुण, जल के स्त्रोत, जल प्रबंधन, राजस्थान मे कलात्मक जल स्त्रोत, पेयजल व सिंचाई स्त्रोत ।
हमारी पृथ्वी व अंतरिक्ष : सौर परिवार, भारत के अंतरिक्ष यात्री । पर्वतारोहण मे कठिनाइयाँ एवं काम आने वाले औजार, भारत की प्रमुख महिला पर्वतारोही । पर्यावरण अध्ययन के क्षेत्र एवं संकल्पना।
EVS का महत्व, समाकलित पर्यावरण अध्ययन, पर्यावरण अध्ययन, पर्यावरण शिक्षा के अधिगम सिद्धान्त, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के साथ अर्न्तसम्बन्ध एवं क्षेत्र संकल्पना प्रस्तुतीकरण के उपागम, क्रियाकलाप, प्रयोगात्मक/प्रायोगिक कार्य, चर्चा, समग्र एवं सतत मूल्यांकन, शिक्षण सामग्री/सहायक सामग्री, शिक्षण की समस्याऐं
इन्हें भी पढ़ें – REET स्तर द्वितीय सामाजिक विज्ञान का पाठ्यक्रम
Math: गणित
एक करोड़ तक की पूर्ण संख्याऐं, स्थानीय मान, तुलना, गणितीय मूल संक्रियाऐं – जोड़, बाकी, गुणा, भाग; भारतीय मुद्रा। भिन्न की अवधारणा, उचित भिन्नें, समान हर वाली उचित भिन्नों की तुलना, मिश्र भिन्नें, असमान हर वाली उचित भिन्नों की तुलना, भिन्नों की जोड़ बाकी, अभाज्य एवं संयुक्त संख्याएं, अभाज्य गुणनखण्ड, लघुत्तम समापवर्त्य, महत्तम समापवर्तक।
एकिक नियम, औसत, लाभ-हानि, सरल ब्याज। समतल व वक्रतल, समतल व ठोस ज्यामितिय आकृतियांँ; समतल ज्यामितीय आकृतियों की विशेषतायें; बिन्दु, रेखा, किरण, रेखाखण्ड; कोण एवं उनके प्रकार। लम्बाई, भार, धारिता, समय, क्षेत्रमापन एवं इनकी मानक इकाइयां एवं उनमें संबंध;
वर्गाकार तथा आयतकार वस्तुओं के पृष्ठ तल का क्षेत्रफल एवं परिमाप। गणित की प्रकृति एवं तर्क शक्ति, पाठ्यक्रम में गणित की महत्ता, गणित की भाषा, सामुदायिक गणित, आंकड़ों का प्रबंधन । औपचारिक एवं अनौपचारिक विधियों द्वारा मूल्यांकन, शिक्षण की समस्याऐं, त्रुटि विश्लेषण एवं शिक्षण एवं अधिगम से संबंधित, निदानात्मक एवं उपराचात्मक शिक्षण
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